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घृणित सत्य यह कैसा तर्क है, कैसा सत्य है ? कोंकण-गोवा में पुर्तगाल के वहशी आक्रमणकारियों ने निर्दयता से लाखों कोंकणी ब्राह्मणों की हत्या कर दी क्योंकि उन्होंने ईसाई धर्म को मानने से इनकार किया। क्या आप एक भी ऐसा उदाहरण दे सकते हो कि किसी कोंकणी ब्राह्मण ने किसी पुर्तगाली की हत्या की? फिर भी पुर्तगाल और अन्य यूरोप के देश हमें सभ्य और अनुकरणीय लगते हैं और ब्राह्मण तुच्छ! यह कैसा सत्य है? जब पुर्तगाली भारत आये, तब *St. Xavier* ने पुर्तगाल के राजा को पत्र लिखा “यदि ये ब्राह्मण न ह ोते तो सारे स्थानीय जंगलियों को हम आसानी से अपने धर्म में परिवर्तित कर सकते थे।” यानि कि ब्राह्मण ही वे वर्ग थे जो कि धर्म परिवर्तन के मार्ग में बलि चढ़े। जिन्होंने ने अपना धर्म छोड़ने की अपेक्षा मर जाना बेहतर समझा। *St. Xavier* को ब्राह्मणों से असीम घृणा थी, क्योंकि वे उसके रास्ते का काँटा थे, हजारों की संख्या में गौड़ सारस्वत कोंकणी ब्राह्मण उसके अत्याचारों से तंग हो कर गोवा छोड़ गए, अपना सब कुछ गंवा कर। क्या किसी एक ने भी मुड़ कर वार किया? फिर भी *St. Xavier* के नाम पर आज भारत के हर नगर में स्कूल और क

जय जय सीताराम

कलियुग के असुर कहे जाने वाले मायावी सीताराम नाम रूपी असुर जिसे ५ हजार साल बाद पता चला कि हिन्दू हिंसक होता है, अरे जाहिल जिस दिन हिन्दू हिंसक हो गया, सारी समस्या खत्म हाे जयगी।   मूर्ख थूकता हूं एैसै कम्युनिस्ट विचारों पर ।। जय जय सीताराम।।
भारतीय संस्कृति के उत्थान में रामायण की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता | इस महाग्रंथ के एक-एक किरदार हमें जिंदगी में सत्य एवं नेक रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं | शायद यही वजह है कि आज भी  रामायण को इतने आदर एवं श्रद्धा से देखा जाता है | जय सीताराम  सादर -              सनातन धर्म चेतना चैरिटेबल ट्रस्ट