।।एकलव्य के कटे अंगूठे की सर्जरी तथा महाभारत के कुछ महाझूठ का पोस्टमार्टम।। मैं पहले लिख चुका हूँ की व्यास जी ने "जय संहिता" नाम से जिस ग्रन्थ की रचना मात्र 16 हज़ार श्लोकों में की थी वैशम्पायन जी ने उसे पुनः "भारत" नाम से 22 हज़ार श्लोकों में लिखा, जो श्लोक बढ़े वो कथा सुनाने के क्रम से बढ़ गए, फिर उसी में कृष्ण के अवतरण से लेकर कंस वध तक की कथा जोड़कर सौति जी ने इसे 30 हज़ार श्लोकों में "महाभारत" नाम से लिखा। महाराज भोज ने कहा था कि "मेरे पितामह के समय इसमें 16 हज़ार श्लोक थे और आज 35 हज़ार हैं यदि प्रक्षेपण इसी प्रकार होता रहा तो आने वाले समय में आर्यावर्त में एक नया पहाड़ खड़ा होगा जिसका नाम होगा महाभारत" आज महाभारत के नाम पर 1 लाख 10 हज़ार से अधिक श्लोक गढ़े जा चुके हैं, जिसको यदि एक साथ छाप दिया जाय तो 3 फीट ऊँची 25 किलो वज़नी और 20 हज़ार पेज की पहाड़ रूपी पुस्तक बन जायेगी। महाभारत शोध संस्थान ने एशिया महाद्वीप में पाई जाने वाली महाभारत की 10 हज़ार पांडुलिपियों का अध्ययन करने पर पाया कि महाभारत काल की अन्य घटनाएं जो महाभारत में नहीं हैं उन्हें ही बाद