सरकारें ना तो संस्कृति को जन्म देती हैं, ना संवाहक या रक्षक होती है , चुनावी घोषणाओं के भ्रमजाल से बाहर निकलिए , अपने संस्कृति, सभ्यता, संस्कार का पोषण और संरक्षण हमें स्वयं करना होगा।
कथित राजनैतिक लाेग और उनके साजिश से सावधान रहने की जरूरत है।
।।जय सीताराम।।